Check bounce: चेक बाउंस क्या होता है और इसके कानूनी परिणाम क्या हैं?

Check bounce: चेक बाउंस क्या होता है और इसके कानूनी परिणाम क्या हैं?

Check bounce: चेक आज भी एक भरोसेमंद भुगतान साधन माना जाता है, लेकिन जब यह बाउंस हो जाता है तो व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार छोटी सी गलती, जैसे खाते में कम बेलेंस होना या हस्ताक्षर मेल न खाना, बड़ी समस्या बन जाती है। इस लेख में हम मानब भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरल भाषा में समझेंगे कि चेक बाउंस क्यों होता है, इसके क्या कानूनी नतीजे होते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी यदि आप चेक जारी करते हैं या प्राप्त करते हैं।

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चेक बाउंस क्या होता है ?

चेक बाउंस तव्य होता है जब बैंक किसी कारण से आपके द्वारा जारी किए गए चेक का भुगतान करने से इनकार कर देता है। यह स्थिति खाते में अपर्याप्त राशि होने से लेकर गलत हस्ताक्षर या तकनीकी त्रुटियों तक कई वजहों से पैदा हो सकती है। जब चेक बाउंस होता है तो बैंक के साथ साथ दोनों पक्षों को असुविधा होती है। बार बार चेक बाउंस होने से व्यक्ति की विश्वसनीयता भी कम हो जाती है और व्यावसायिक लेनदेन पर खराब प्रभाव पड़ता है।

चेक बाउंस होने के प्रमुख कारण ?

अक्सर चेक बाउंस होने के पीछे सामान्य और साधारण गलतियां होती है। इनमें सबसे पहला कारण खाते में कम बैलेंस होना है। कई बार व्यक्ति जल्दीबाजी में चेक पर गलत तारीख लिख देता है जिससे चेक अस्वीकार हो जाता है। यदि चेक पर किए गए हस्ताक्षर बैंक के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते तो चेक तुरंत लौटाया जाता है। पुराने या फटे हुए चेक भी प्रक्रिया में स्वीकार नहीं किए जाते। कुछ मामलों में न्यूनतम शेष राशि न रखने से भी चेक बाउंस की स्थिति बन जाती है। इसलिए चेक जारी करते समय हर छोटी जानकारी को जांचना बेहद जरूरी है।

चेक बाउंस नोटिस और कानूनी प्रक्रिया ?

यदि चेक अपर्याप्त राशि के कारण बाउंस होता है तो पेपी को बैंक से मिली जानकारी के तीस दिनों के भीतर नोटिस भेजना आवश्यक होता है। नोटिस मिलने के बाद चेक जारी करने वाले को पंद्रह दिन का समय भुगतान करने के लिए मिलता है। यदि यह भुगतान नहीं करता तो तीस दिनों के भीतर अदालत में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। यह पूरा मामला आपराधिक प्रकृति का होता है। यह भी जरूरी है कि चेक किसी वैध लेनदेन या देनदारी के तहत दिया गया हो तभी मामला धारा 138 के तहत चलेगा।

चेक बाउंस से बचने के उपाय ?

खाते में हमेशा पर्याप्त राशि रखना सबसे जरूरी बात है। चेक लिखते समय तारीख, राशि और हस्ताक्षर को दो बार जांचें। यदि संभव हो तो ओवरड्राफ्ट सुविधा का उपयोग करें ताकि भुगतान रुकने की संभावना कम हो। डिजिटल भुगतान उपयोग करने से भी चेक पर निर्भरता घटती है और जोखिम कम होता है। बैंक की एसएमएस और ईमेल अलर्ट सेवा सक्रिय रखें ताकि हर लेनदेन की जानकारी आपको समय से मिल सके। व्यवसाय या संस्था में चेक से संबंधित कार्य करने वालों की उचित प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है।

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